मो. अनस सिद्दीकी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यक्रमों में गुलदस्ता नहीं किताब देने के अपने आग्रह को दोहराते हुए सभी लोगों से नियमित रूप से किताब पढ़ने के लिये समय निकालने का आग्रह किया । उन्होंने महान साहित्याकार मुंशी प्रेमचंद का जिक्र करते हुए उनकी कहानी नशा, ईदगाह और पूस की रात का उल्लेख भी किया। नरेन्द्र मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बातकार्यक्रम में अपने संबोधन में लोगों से कहा आपने कई बार मेरे मुंह से सुना होगा, बूके नहीं बुक। मेरा आग्रह था कि क्या हम स्वागत-सत्कार में फूलों के बजाय किताबें दे सकते हैं। तब से काफी जगह लोग किताबें देने लगे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें हाल ही में किसी ने प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियाँ नाम की पुस्तक दी। उन्हें बहुत अच्छा लगा। हालांकि, बहुत समय तो नहीं मिल पाया, लेकिन प्रवास के दौरान मुझे उनकी कुछ कहानियाँ फिर से पढ़ने का मौका मिल गया। मोदी ने कहा कि प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में समाज का जो यथार्थ चित्रण किया है, पढ़ते समय उसकी छवि आपके मन में बनने लगती है। उनकी लिखी एक-एक बात जीवंत हो उठती है। सहज, सरल भाषा में मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने वाली उनकी कहानियाँ मेरे मन को भी छू गई। उनकी कहानियों में समूचे भारत का मनोभाव समाहित है। प्रधानमंत्री ने कहा, जब मैं उनकी लिखी नशा नाम की कहानी पढ़ रहा था, तो मेरा मन अपने-आप ही समाज में व्याप्त आर्थिक विषमताओं पर चला गया। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी युवावस्था के दिन याद आ गए कि कैसे इस विषय पर रात-रात भर बहस होती थी। जमींदार के बेटे ईश्वरी और गरीब परिवार के बीर की इस कहानी से सीख मिलती है कि अगर आप सावधान नहीं हैं तो बुरी संगति का असर कब चढ़ जाता है, पता ही नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि दूसरी कहानी, जिसने उनके दिल को अंदर तक छू लिया, वह थी ईदगाह। यह एक बालक की संवेदनशीलता, उसका अपनी दादी के लिए विशुद्ध प्रेम, उतनी छोटी उम्र में इतना परिपक्व भाव। 4-5 साल का हामिद जब मेले से चिमटा लेकर अपनी दादी के पास पहुँचता है तो सच मायने में, मानवीय संवेदना अपने चरम पर पहुँच जाती है। मोदी ने कहा कि इस कहानी की आखिरी पंक्ति बहुत ही भावुक करने वाली है क्योंकि उसमें जीवन की एक बहुत बड़ी सच्चाई है, बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था दृ बुढ़िया अमीना, बालिका अमीना बन गई थी। उन्होंने कहा कि ऐसी ही एक बड़ी मार्मिक कहानी है पूस की रात। इस कहानी में एक गरीब किसान जीवन की विडंबना का सजीव चित्रण देखने को मिला। अपनी फसल नष्ट होने के बाद भी हल्दू किसान इसलिए खुश होता है क्योंकि अब उसे कड़ाके की ठंड में खेत में नहीं सोना पड़ेगा। मोदी ने कहा कि हालांकि ये कहानियाँ लगभग सदी भर पहले की हैं लेकिन इनकी प्रासंगिकता, आज भी उतनी ही महसूस होती है। इन्हें पढ़ने के बाद, उन्हें एक अलग प्रकार की अनुभूति हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी मीडिया में केरल की अक्षरा लाइब्ररी के बारे में पढ़ा। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये लाइब्रेरी इडुक्की के घने जंगलों के बीच बसे एक गाँव में है। यहाँ के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पी.के. मुरलीधरन और छोटी सी चाय की दुकान चलाने वाले पी.वी. चिन्नाथम्पी, इन दोनों ने, इस लाइब्रेरी के लिए अथक परिश्रम किया है। उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी रहा, जब गट्ठर में भरकर और पीठ पर लादकर यहाँ पुस्तकें लाई गई। आज ये लाइब्ररी, आदिवासी बच्चों के साथ हर किसी को एक नई राह दिखा रही है। मोदी ने कहा कि गुजरात में वांचे गुजरात अभियान एक सफल प्रयोग रहा। लाखों की संख्या में हर आयु वर्ग के व्यक्ति ने पुस्तकें पढ़ने के इस अभियान में हिस्सा लिया था। प्रधानमंत्री ने कहा, आज की डिजिटल दुनिया में, गूगल गुरु के समय में, मैं आपसे भी आग्रह करूँगा कि कुछ समय निकालकर अपनी दिनचर्या में किताब को भी जरुर स्थान दें। आप सचमुच में बहुत आनंद करेंगे और जो भी पुस्तक पढ़े उसके बारे में नरेन्द्र मोदी एप पर जरुर लिखें ताकि मन की बात के सारे श्रोता भी उसके बारे में जान पायेंगे।
प्रधानमंत्री ने लोगों से समय निकालकर नियमित रूप से किताब पढ़ने का आग्रह किया