वाणिज्य संवाददाता
नई दिल्ली। पिछले हफ्ते दुनिया भर में कुछ दिलचस्प घटनाक्रम हुए। अब हम कोरोनो वायरस प्रकोप के कमजोर पड़ने की स्थिति देख रहे हैं और उद्योग के परिदृश्य में जल्द ही सुधार की उम्मीद है। चीन ने हुबेई प्रांत के बंद को भी खत्म कर दिया है और देश अब सामान्य स्थिति में लौट रहा है। किस प्रकार इस राष्ट्रीय आपदा ने कमोडिटी बाजार को प्रभावित किया है।
प्रथमेश माल्या, चीफ एनालिस्ट, नॉन-एग्री कमोडिटी एंड करेंसी, एंजिल ब्रोकिंग लिमिटेड के मुताबिक पिछले हफ्ते स्पॉट गोल्ड की कीमत 2.5 प्रतिशत अधिक पर बंद हुई थी। केंद्रीय बैंकों द्वारा वैश्विक प्रोत्साहन उपायों की उम्मीद के बीच बुलियन मेटल की कीमतों को अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में गिरावट का समर्थन मिला। एमएक्ससी फ्यूचर्स ने जून फ्यूचर में 1% उछाल के बाद 45,800 रुपये प्रति 10 ग्राम जबकि सिल्वर फ़्यूचर मई में 0.4% की रैली के साथ 43,670 रुपए के साथ बंद हुआ।
इसके अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने पिछले हफ्ते बुधवार को अपनी पिछले महीने की पॉलिसी मीटिंग के मिनट जारी किए। यह मिनट दिखाते हैं कि यू.एस. फेड ने जोरदार पॉलिसी रेस्पांस की आवश्यकता को अनुभव किया और उसके अनुसार कार्य किया।
इस हफ्ते हम सोने की कीमतों में 46,000 रुपए/10 ग्राम की ओर बढ़ोतरी हो सकती है।(सीएमपी: 45,820.0 रुपए/ 10 ग्राम)।
प्रथमेश माल्या, चीफ एनालिस्ट, नॉन-एग्री कमोडिटी एंड करेंसी, एंजिल ब्रोकिंग लिमिटेड के मुताबिक एल्युमीनियम को छोड़कर पिछले हफ्ते एलएमई पर बेस मेटल की कीमतें पॉजिटिव ही रहीं। मांग कम होने का दबाव एल्युमीनियम पर बना हुआ है और पिछले सप्ताह 0.4 प्रतिशत कम हो गया है। शंघाई एक्सचेंज पर इन्वेंट्री के स्तर में वृद्धि और हल्के धातु की कीमतों पर एलएमई के विकास को देखते हुए यह बदलाव आया है।
इटली, फ्रांस व स्पेन में लोगों की मौत तथा नए संक्रमित लोगों की संख्या में गिरावट, चीन में कोरोना वायरस के मामलों में गिरावट ने कोरोना वायरस का प्रकोप कम होने की ओर इशारा किया है। भारत के वर्तमान लॉकडाउन से बाहर निकलने की उम्मीद है। गैर-प्रभावित क्षेत्रों से लॉकडाउन हटाने और हॉटस्पॉट को सील करने के साथ ये घटनाक्रम निकट अवधि में औद्योगिक धातुओं के लिए मांग के दृष्टिकोण में सुधार हो रहा है।
इसके अलावा आर्थिक गिरावट का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी, यूरोज़ोन और जापान द्वारा घोषित प्रोत्साहन उपायों से औद्योगिक धातु की कीमतों को समर्थन मिल रहा है और गिरावट सीमित हो रहा है।
प्रथमेश माल्या, चीफ एनालिस्ट, नॉन-एग्री कमोडिटी एंड करेंसी, एंजिल ब्रोकिंग लिमिटेड के अनुसार पिछले हफ्ते सप्लाई की चिंता के कारण कच्चे तेल की कीमतें 4 प्रतिशत कम हो गईं। दुनियाभर में कमजोर मांग के कारण कच्चे तेल की कीमतें घटी हैं। इसके अलावा यूएस एनर्जी इंफर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले हफ्ते अमेरिकी कच्चे तेल का भंडार 15 मिलियन बैरल से अधिक हो गया, जिसने क्रूड की कीमतों पर और दबाव डाला। घातक वायरस के प्रकोप के कारण गिरती मांग और रिफाइनरी बंद होने से यूएस में इन्वेंट्री स्तरों में उछाल आया।
यू.एस. में रिफाइनरियों को बंद कर दिया गया जो घातक वायरस के प्रकोप के कारण गिरती मांग के कारण इन्वेंट्री स्तरों में उछाल आया।
हालांकि ओपेक+ मीट ने अब परिदृश्य को काफी हद तक बदल दिया है। ओपेक+ ग्रुप ने कीमतों का समर्थन करने के लिए ऐतिहासिक तौर पर उत्पादन कटौती की घोषणा की है। वैश्विक गठबंधन ने 1 मई से 30 जून तक प्रतिदिन 9.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन उत्पादन रोकने के लिए सहमति व्यक्त की है। इसके बाद ओपेक+ अप्रैल 2022 तक क्रमिक छूट जारी रखेगा। इस घोषणा के आधार पर कच्चे तेल में 5% की वृद्धि हुई है और इसकी संभावना है निकट अवधि में यह ऊपर की ओर बढ़ना जारी रखें।