बीजेपी और शिवसेना में तलाक की नौबत


बीजेपी और शिवसेना में महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर 5050 के तहत तकरार अब काफी आगे जा चुकी है. शिवसेना जहां बार-बार इस बात का दावा कर रही है कि महाराष्ट्र की कुंडली उसके पास है और महाराष्ट्र में कोई दुष्यंत ऐसा नहीं है जिसके पिता जेल में हों इसलिए भारतीय जनता पार्टी को भ्रम में नहीं रहना चाहिए और 5050 फार्मूले के तहत आगे बढ़ना चाहिए.


 वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बार-बार आगे आ रहे हैं और वह इस बात को स्पष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं कि 5050 के किसी फार्मूले का कोई वादा शिवसेना से नहीं हुआ था और वहीं अगले 5 साल के लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री होंगे क्योंकि जनता ने भाजपा व शिवसेना के गठबंधन को मैंडेट दिया है.


 सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के नेता महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में आर्टिकल 370 हटने के बाद इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि भारतीय जनता पार्टी को अपने दम पर राज्य में बहुमत मिल जाएगी यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन भारतीय जनता पार्टी 100 के आसपास सिमट गई और उसे सरकार बनाने के लिए लगभग 45 विधायकों की जरूरत है जो शिवसेना के बगैर संभव नहीं है.


 सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के नेता चाहते थे कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी अकेले दम पर चुनाव में जाए, लेकिन संघ के हस्तक्षेप के बाद यह संभव हुआ कि शिवसेना को गठबंधन में जोड़ा गया, क्योंकि शिवसेना और अकाली भारतीय जनता पार्टी के उस वक्त के साथी हैं जब इनके साथ कोई दल नहीं थे और भाजपा को अछूत समझते थे, ऐसे में शिवसेना और अकाली दल दोनों को साथ रखना भारतीय जनता पार्टी के लिए जरूरी भी है, लेकिन शिवसेना के तेवर यह बताते हैं कि अब बात काफी आगे बढ़ चुकी है.


 सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शिवसेना किसी भी तरह से 5050 के फार्मूले से कंप्रोमाइज करने को तैयार नहीं है. शिवसेना अपने इस फैसले से पीछे नहीं हटना चाहती ती है. ऐसे में भाजपा के साथ दो ही ऑप्शन है कि वह एनसीपी से मिल कर सरकार बनाएं जिसकी पूर्व में अटकलें उठती रही हैं.


 जानकारों का मानना है कि एनसीपी के मुखिया शरद पवार अब कोई जोखिम नहीं लेना चाहेंगे क्योंकि उन्होंने पूरा इलेक्शन भाजपा के खिलाफ लड़ा है और जनता ने उन्हें इसीलिए स्वीकारा है. जानकारों का यह भी मानना है कि अगर शिवसेना को कांग्रेस और एनसीपी समर्थन दे देते हैं तो यह भारतीय जनता पार्टी की बड़ी हार होगी वहीं शिवसेना की ओर से दावा किया गया है कि कि- महाराष्ट्र की कुंडली तो हम ही बनाएंगे। कुंडली में कौनसा गृह कहां रखा है और कौनसे तारे जमीन पर उतारने हैं, किस तरह की चमक देनी है। इतनी ताकत आज भी शिवसेना के पास है.


उन्होंने कहा कि किसी भी राजनेता या विधायक जिसके पास 145 की मेजरिटी है वह मुख्यमंत्री बन सकता है। जिसके पास भी 145 का आंकड़ा है राज्यपाल ने उन्हें निमंत्रण दिया है। लेकिन उन्हें फ्लोर पर मेजोरिटी साबित करनी होगी। बता दें कि संजय राउत ने गुरुवार को कहा था कि- बीजेपी और शिवसेना के बीच आज चार बजे की बैठक सूचीबद्ध थी। लेकिन, अगर खुद मुख्यमंत्री कहते हैं कि 50-50 के फॉर्मूले पर कोई चर्चा नहीं हुई तो फिर क्या बात होगी? किस आधार पर उनसे हम बात करेंगे? इसलिए, उद्धव जी ने आज की बैठक रद्द कर दी है।


गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना के उस दावे को नकार दिया है जिसमें उसका कहना है कि सरकार बनाने को लेकर 50:50 का फॉमूला तय हुआ था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले जब गठबंधन को अंतिम रूप दिया गया था तब शिवसेना से ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद का वादा नहीं किया गया था। राज्य में अगली सरकार में सत्ता में भागीदारी को लेकर भाजपा एवं शिवसेना के बीच चल रही तकरार के बीच फडणवीस ने कहा कि वह अगले पांच साल तक वही मुख्यमंत्री रहेंगे।