विक्लांगों और दिल्ली की बेटियों के लिए किसी शक्तिमान से कम नहीं है मो. अलीम


मो. अनस सिद्दीकी
नई दिल्ली। कभी-कभी वो यह भी भूल जाती हैं कि उसके पास दोनों पैर नहीं है। अगर आपने खुद को वैसे ही स्वीकार किया है जैसे आप हैं तो आपके आस-पास के लोग भी आपको आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। भरी जवानी में वो मनहूस दिन था जब वो अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसले के लिए परीक्षा देने दक्षिण दिल्ली के एक सेंटर पर जा रही थी। तभी एक सड़क दुर्घटना के दौरान उसके दोनों पैरों ने हमेशा के लिए उसका साथ छोड़ दिया था। जिन्दगी जीने की तमन्ना ही खत्म हो गई थी। लेकिन उसकी बड़ी बहिन ने हौंसला दिया और फिर जिन्दगी को नए सिरे से जीने की चाह में एक कोशिश शुरू की। इस महिला का नाम है कृष्णा। कृष्णा मौजूदा समय में गुरू तेग बहादुर हॉस्पीटिल में बतौर डिप्टी नर्सिंग सिस्टर (डीएनएस) के तौर पर कार्यरत है। वह अपने घर से हॉस्पीटल एक स्कूटी से आती जाती है। उनकी स्कूटी में एक ट्राली लगी हुई है। जैसा कि अक्सर विक्लांग लोगों के लिए उनके दुपहिया वाहन में सपोर्ट के लिए एक ट्राली लगा दी जाती है। ताकि विक्लांगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। 
कृष्णा बताती है कि जिस समय मेरे साथ सड़क दुघर्टना हुई थी उस वक्त मैंने जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। मैंने अपने घरवालों से कहा था कि मुझे जहर दे दो। ताकि एक ही बार में आपको सब्र आ जाऐ और जिन्दगी भर की परेशानियों से छुटकारा मिल जाए। लेकिन कृष्णा की बड़ी बहिन ने जीने की एक आश जगाई। उसके बाद फिर कभी मुड़कर वापिस नहीं देखा। कृष्णा कहती हैं कि मैंने एक कृतिम पैर लगवाया हुआ है। मेरी स्कूटी कहीं खराब हो जाती है तो मुझे चिंता नहीं होती है कि मैं घर कैसेे जाउंगी। मैं मो. अलीम को फोन कर देती हूं और वह आकर मौके पर मेरीे स्कूटी ठीक कर देता है। यदि उसमें खराबी ज्यादा होती है तो वह मुझे घर छोड़कर मेरी खराब स्कूटी को अपने वर्कशाप पर ले जाकर ठीक कर मेरे घर पर छोड़ देता है। मो. अलीम की इस मदद के चलते मेरी विकलांगता से जुड़े मेरे सभी डर गायब हो गए। मुझमें एक विश्वास और कार्य करने की वो सभी क्षमताएं मौजूद हैं जो कि एक सामान्य व्यक्ति में होती हैं। उन्होंने कहा कि मेरा भाई मो. अलीम जात-पात और सभपी मजहब से ऊपर उठकर हैं। मो. अलीम का मजहब केवल इंसानियत  और सेवाभाव हैं। मैं उसके जज्बे को सलाम करती हूं। मैं तो कहती हूं कि दिल्ली की सभी बेटियों और विक्लांग लोगोंको इमरजेंसी सर्विस नम्बर के बजाए मो. अलीम का नम्बर 9891861780 अपने मोबाइल फोन में सेव करके रखना चाहिए। दिल्ली पुलिस की तरह एक कॉल पर मो. अलीम परेशानी में फंसी दिल्ली की बेटी और विक्लांग व्यक्ति जो दुपहिया वाहन चलाता है के पास पहुंचकर मदद करता है।