दुर्गा शंकर प्रसाद मिश्रा
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका के माध्यम से दिल्ली सरकार से मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून, 2017 के प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से लागू करने की मांग की गई है। याचिका को मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ के समक्ष सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इसमें कहा गया है कि कानून का उद्देश्य मानसिक रूप से बीमार लोगों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल एवं सेवाएं मुहैया कराना है। साथ ही देखभाल एवं सुविधाएं देने के समय ऐसे लोगों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बढ़ावा देना शामिल है। याचिकाकर्ता वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने दिल्ली सरकार को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया कि राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और जिला मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड का गठन करे तथा कानून के प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से लागू करे। याचिका में कहा गया है, मानसिक रूप से अस्वस्थ अधिकतर लोग पूरी तरह ठीक हो जाते हैं या उचित चिकित्सा मिलने पर समाज में रहने योग्य हो जाते हैं। मानसिक बीमारी के साथ जुड़े सामाजिक कलंक के कारण जीवन के हर मोड़ पर उन्हें भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। इसमें कहा गया है कि मानसिक समस्या तब बढ़ जाती है जब पीड़ित लोगों को न केवल समाज की तरफ से, बल्कि परिवार, दोस्तों और नियोक्तओं की ओर से भी भेदभाव का शिकार होना पड़ता है।
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून लागू करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर