अशोक प्रियदर्शी
नई दिल्ली। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 16 प्रतिशत तालुका, मंडल एवं प्रखंड स्तरीय इकाइयों में भूजल का स्तर अत्याधिक दोहन वाली श्रेणी में है जबकि चार प्रतिशत नाजुक श्रेणी में है। सरकार की ओर से पिछले हफ्ते लोकसभा में साझा किए गए डेटा के मुताबिक केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा 6,584 प्रखंडों, मंडलों, तहसील स्तरीय इकाइयों का आकलन किया जिसमें पता चला कि 4,520 इकाइयां सुरक्षित श्रेणी के तहत आती हैं। डेटा के मुताबिक करीब 1,034 इकाइयों को अत्याधिक दोहन वाली श्रेणी में रखा गया है। वहीं अर्ध गंभीर श्रेणी में 681 प्रखंड, मंडल एवं तालुका स्तरीय इकाइयों को रखा गया जबकि 253 गंभीर श्रेणी में आती हैं। करीब एक प्रतिशत प्रखंड, मंडल एवं तालुका का पानी खारा है। ये आंकड़े सरकार के 2013 के आकलन पर आधारित हैं। जल शक्ति मंत्रालय के राज्य मंत्री ने पिछले हफ्ते संसद में जानकारी दी, 2013 के आकलन के मुताबिक, कुल 6,584 आकलन इकाइयों (प्रखंड, तालुक, मंडल, जलसंभरों, फिरका) में 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 1,034 इकाइयों को अत्याधिक दोहन वाली श्रेणियों में रखा गया है जहां भूजल कुल भूजल उपलब्धतता के मुकाबले ज्यादा निकाला जा रहा है और पानी के स्तर में काफी गिरावट आई है। उन्होंने कहा, 253 इकाइयों को गंभीर, 681 को अर्ध गंभीर और 4,520 इकाइयों को सुरक्षित श्रेणी में रखा गया है। भूजल का अत्याधिक दोहन सबसे अधिक पंजाब (76 प्रतिशत) और राजस्थान (66 प्रतिशत) में और इसके बाद दिल्ली (56 प्रतिशत) और हरियाणा (54 प्रतिशत) में देखा गया। वहीं पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, त्रिपुरा, ओडिशा, नगालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश और गोवा में अत्याधिक दोहन की कोई जानकारी नहीं है। वहीं अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली के सभी प्रखंडों, तालुका और मंडल स्तरीय इकाइयों में भूजल का स्तर सुरक्षित श्रेणी में है।
देश के 16 प्रतिशत तालुका, मंडल एवं प्रखंडों में भूजल स्तर अत्याधिक दोहन वाली श्रेणी में: डेटा