प्रधानमंत्री मोदी और मुस्लिम समाज ! कितना पास, कितना दूर ?

एम फारूक़ ख़ान


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव में मिली बड़ी सफलता के बाद संसद के सेन्ट्रल हाॅल में भाजपा सांसदों को सम्बोधित करते हुए एक बात कही, जिसकी देशभर में तारीफ की गई। उस बात का लब्बोलुआब यह था कि "अल्पसंख्यकों से छल हुआ है, हम उनका विश्वास जीतेंगे।" सवाल यह है कि क्या वाकई पीएम मोदी ऐसा करेंगे या यह भी पूर्व की भांति एक जुमला साबित होगा ?


जयपुर। चुनाव में 300 पार सीट जीतकर सफलता के बाद भाजपाई खेमे में लाजवाब खुशी है, वहीं विपक्षी खेमे में आज भी हार का मातम छाया हुआ है। इस बीच सियासी गलियारों और मुस्लिम समाज के बीच पीएम मोदी के उस जुमले पर चर्चा हो रही है, जो उन्होंने इस जीत के बाद संसद के सेन्ट्रल हाॅल में कहा था। उन्होंने कहा कि "वोट बैंक की राजनीति में गरीबों जैसा छल अल्पसंख्यकों के साथ भी हुआ है। अल्पसंख्यक समुदाय को काल्पनिक डर के माहौल में रखकर छला गया है। हमें इस छल में छेद करना है।"


प्रधानमंत्री मोदी ने जो जुमला कहा है, वो बहुत ही सराहनीय है तथा अल्पसंख्यक समुदाय ख़ासकर मुस्लिम समाज में उनके इस जुमले की जमकर तारीफ़ भी हो रही है। प्रधानमंत्री के इस बयान पर कुछ मुस्लिम रहनुमाओं ने उनकी तारीफ़ करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री का यह जुमला तो बहुत अच्छा है, लेकिन इस जुमले पर वे स्वयं और उनकी पार्टी एवं उनकी सरकार व्यवहारिक तौर पर अमल करेगी या नहीं ? यह भविष्य में देखने वाली बात है। पीएम मोदी के इस बयान पर एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी ने सवाल उठाते हुए आलोचना भी की है। हालांकि औवेसी एक विपक्षी सियासतदां हैं, इसलिए सत्ताधीशों की आलोचना करना और उनके किसी भी बयान के प्रति संदेह व्यक्त करना उनकी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है। औवेसी ने पीएम के बयान पर जो सवाल उठाए हैं, वो पूरी तरह से सही हैं।


प्रधानमंत्री ने अपने बयान में शब्द अल्पसंख्यक इस्तेमाल किया है और अल्पसंख्यक वर्ग में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बोद्ध, जैन व पारसी समुदाय आते हैं। लेकिन जिस गरीबी, वोट बैंक की राजनीति और डर का उन्होंने जिक्र किया है, वो शब्द सभी अल्पसंख्यकों की बजाए सिर्फ मुस्लिम समाज पर ही सटीक बैठते हैं। इसलिए यह साफ है कि प्रधानमंत्री ने बिना स्पष्ट नाम लिए अपनी बात मुस्लिम समाज के सन्दर्भ में कही है। इससे तीन बातें खुलकर सामने आती हैं। पहली मुसलमानों के साथ छल हुआ है, दूसरी वे बहुत ही गरीब और पिछड़े हैं तथा तीसरी किसी विशेष उद्देश्य के तहत उनमें डर पैदा किया गया है। इसलिए हमने इस लेख का केन्द्र बिन्दु प्रधानमन्त्री और मुस्लिम समाज को बनाया गया है।


यह सच है कि प्रधानमंत्री मोदी और मुस्लिम समाज के बीच दूरियां बहुत लम्बी हैं तथा मुस्लिम समाज न उन्हें पसंद करता है और ना ही उन्हें खुलकर वोट देता है। इसका कारण भी सबको मालूम है। जब कोई राजनेता और उसकी विचारधारा एवं उस विचारधारा की टीम किसी व्यक्ति या समुदाय से नफरत करती है तथा खुलेआम उसे भला बुरा कहती है, तो फिर उसका वोट पाना आसान काम नहीं है। इसीलिए अधिकतर मुस्लिम वोटर देशभर में उस पार्टी और उम्मीदवार को वोट देते हैं, जो भाजपा को हरवा सके। अब इस दूरी और नफरत की खाई को कोई पाट सकता है, तो वो खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। क्योंकि उनके पास पूर्ण बहुमत की केन्द्र सरकार है और आधे से अधिक राज्यों में उनकी पार्टी की सरकारें हैं।


यह खुली किताब की तरह है कि प्रधानमंत्री मोदी जिस संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक रहे हैं, उस संगठन की विचारधारा मुस्लिम विरोधी है तथा इस संगठन से सम्बंधित बहुत से लोग और संगठन दिन रात मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं। जिसके नतीजे में देश में कई दंगे फसाद हुए हैं और उनमें जानी व माली नुकसान ज्यादातर मुसलमानों का हुआ है। मोब लींचिग और गौ हत्या के नाम पर भी अधिकतर मुसलमानों को ही निशाना बनाया गया है। जिस कारण मुस्लिम समुदाय संघ और उससे सम्बंधित संगठनों जिसमें भाजपा भी शामिल है के खिलाफ है। जिसका नतीजा यह है कि संघ परिवार और मुसलमानों के बीच यह खाई घटने की बजाए बढी है।


इस खाई को घटाने या खत्म करने का काम अगर दिल से चाहें तो प्रधानमंत्री मोदी कर सकते हैं। उन्हें सिर्फ तीन काम करने हैं। पहला अगर वे यह मानते हैं कि मुसलमानों के साथ छल हुआ है और वे बेहद गरीब हैं, तो सभी मुस्लिम छात्र छात्राओं को पहली कक्षा से उच्च शिक्षा प्राप्त करने तक एससी एसटी की तर्ज पर स्काॅलरशिप दी जाए। दूसरा अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से साफ शब्दों में कह दें कि जो आज तक हुआ सो हुआ, अब कोई भी भाजपाई मुसलमानों को टारगेट बनाकर कोई बयानबाज़ी नहीं करेगा। तीसरा अपने मुख्यमन्त्रियों और सम्बंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दें कि मुसलमानों के साथ किसी भी प्रकार की ज़्यादती और नाइन्साफी नहीं होनी चाहिए तथा इस निर्देश का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। ऐसा होगा तो यकीनन पीएम के बयान की सार्थकता होगी, नहीं तो यह सिर्फ एक और जुमला साबित होगा !