नई दिल्ली (वेबवार्ता)। भारतीय स्वास्थ्य उद्योग लंबे समय से अनेक चुनौतियों से जूझता आ रहा है। पुनर्वास केंद्रों की कमी, स्वास्थ्य संसाधनों की अपर्याप्तता, मानक से कम स्तर का रोगी अनुभव ये ऐसी कुछ चुनौतियां हैं जिनका सामना भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली कर रही है। मोदी सरकार में देश में अभिनव स्वास्थ्य निवेश के लिए माहौल तैयार है, डिक्लीनिक ने कुछ स्थानीय प्रदाताओं एवं प्रभावशाली पक्षधरों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। यह कहना है डीक्लीनिक के सह-संस्थापक सचिन गुप्ता का। उनका कहना है कि दुनिया भर में मरीजों के लिए ऐसी कुछ ही समर्पित पोस्ट-ऑपरेटिव केयर सेवाएं हैं। अब मरीज छोटी-बड़ी सर्जरी के बाद डीक्लीनिक के रिजॉर्ट शैली के वाइटेलिटी केन्द्रों पर रिहैबिलिटेट कर सकते हैं। वहीं, डिक्लीनिक सीईओ डॉ रिचर्ड सातुर का कहना है कि सुविधाओं का स्वामित्व व स्थानीय विशेषज्ञ प्रदाताओं की सहभागिता से वाइटेलिटी व वैलनेस सेवाएं देने के लिए क्रांतिकारी पब्लिक हेल्थकेयर ब्लॉकचेन प्रदान करना-इनका संयोजन दुनिया भर में उपभोक्ताओं को प्रदान किए जाने वाले उपचार को सफलतापूर्वक परिवर्तित करने की कुंजी है।
मोदी सरकार में अभिनव स्वास्थ्य निवेश के लिए माहौल तैयार