मंदिर की जमीन के विवाद ने मलखान को बागी बनने पर किया था मजबूर


बागी जीवन त्यागकर आम जीवन को अपनाने वाले मलखान सिंह यू पी की धौरहरा लोकसभा सीट से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ( लोहिया ) के उम्मीदवार है । वह चंबल क्षेत्र मेँ बसे भिंड से भाजपा सांसद रेखा अरुण  वर्मा और कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को टक्कर देने पहुंचे हैं । इसके पहले मलखान एक बार भिण्ड से विधान सभा का उप चुनाव सपा से 1997 मेँ लड़ चुके हैं , तब उनकी जमानत जब्त हुई थी । मलखान सिंह हाल ही मेँ पुलवामा की घटना के बाद दिये गए अपने बयान से चर्चा मेँ आ गए । उन्होने कहा कि एमपी मेँ 700 बागी अभी बचे हैं । यदि सरकार चाहे तो बिना शर्त , बिना वेतन के वह अपने देश के खातिर सीमा पर लड़ने को तैयार हैं ।




मलखान सिंह खांगर जाति से ताल्लुक रखते हैं । वह मध्य प्रदेश के भिण्ड जनपद के बिलांव गाँव के रहने वाले हैं । सन 1974 मेँ गाँव के सरपंच कैलाश पंडित के जुल्म से परेशान होकर प्रतिशोध लेने को बंदूक उठाई थी  ।   बागी बनने के नेपथ्य मेँ गाँव के मन्दिर से जुड़ी करीब 100 बीघा  जमीन थी । इस जमीन पर सरपंच का कब्जा था । सरपंच के उन दिनों के गृह मंत्री नरसिंह राव दीक्षित से अच्छे संबंध थे । इन्हीं सम्बन्धों के आधार पर मलखान सिंह को कई बार जेल जाना पड़ा । मलखान को जब लगा कि मंत्री तक पहुँच होने से वह सरपंच के हिस्से से मंदिर की जमीन को मुक्त नहीं कराया जा सकता तो वह एक दिन बंदूक लेकर चंबल के बीहड़ों मेँ कूँद गए। यह बीहड़ राजस्थान , मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमाओं से घिरा है । बागी जीवन के दौरान पुलिस कभी भी उन तक नहीं पहुँच सकी थी । कई बार इन प्रदेशों की पुलिस के बीच ही आमने- सामने की भिड़ंत हुई। मलखान का 80 के दशक मेँ बड़ा आतंक रहा । उनके गिरोह मेँ डेढ़ दर्जन लोग थे । गिरोह पर 32 पुलिस कर्मियों की हत्या सहित 185  लोगों की हत्या करने के मामले दर्ज हुए थे । महिलाओं के प्रति बेहद आदर रखने और गरीबों - बेसहारा लोगों की मदद करने से वह आसपास के क्षेत्र मेँ दद्दा कहकर पुकारे जाने लगे । समर्पण से पहले गिरोह की पुलिस के साथ कई मुठभेड़ें हुईं । 1981 मेँ भिड के तत्कालीन एस पी विजय रमन तो एक बार गिरोह तक पहुँच गए थे । उस मुठभेड़ मेँ गिरोह को भागकर जान बचाने के लिए मजबूर होना पड़ा  था । उसी समय कई डकैतों ने समर्पण किया था पर मलखान विजय रमन की तैनाती तक अपना समर्पण नहीं करना चाहते थे । मलखान को समर्पण के बहाने एनकाउंटर होने का भय था । विजय रमन के भिण्ड से तबादले के बाद राजेंद्र चतुर्वेदी को यहाँ एसपी के रूप मेँ तैनाती दी गई । बागियों मेँ जनप्रतिनिधि बनने की चाहत बैडिट क्वीन के नाम से फेमस हुई फूलन देवी ने जगाई है । फूलन जालौन जिले के शेखपुर गुढ़ा की रहने वाली थी ।  फूलन को सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने मिर्जापुर से चुनाव लड़ाया था और वह दो बार सांसद बनकर दिल्ली पहुंची। इसके बाद कई अन्य डकैत भी रहे जो चुनाव लड़ने की इच्छा अपने मन मेँ दबाये रहे। ऐसी ही इच्छा एक बार सीमा परिहार और नीलम ने जताई जो इस वक्त जेल मेँ है ।
बंगाल के पत्रकारों ने निभाई थी भूमिका
एस पी राजेन्द्र चतुर्वेदी की पत्नी दीपा बंगाली थीं । इस नाते उनकी पहचान वहाँ के चर्चित पत्रकार कल्याण मुखर्जी और प्रशांत पंजिया से थी । नक्सल मूवमेंट पर तब उन्होने एक किताब लिखी थी, जिसको विदेश तक मेँ शोहरत मिली। यह पत्रकार बीहड़ के डकैतों पर भी एक किताब लिखना चाहते थे। इस सिलसिले मेँ उनका भिण्ड आना - जाना हुआ । इसी प्रयास मेँ मलखान तक उनकी पहुँच बनी । समर्पण कराने मेँ दोनों पत्रकारों ने एस पी की मदद की। 17 जून 1982 को भिण्ड के एस ए एफ ग्राउंड मेँ तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने मलखान सिंह ने कई शर्तों के आधार पर आत्म समर्पण कर दिया ।
घुँघरू पहनकर अच्छा नृत्य करते थे मलखान
बागी जीवन के दौरान भी मलखान के कई किस्से सामने आए थे । पूजा - पाठ मेँ विश्वास करने के अलावा उन्हें भोजन बनाना भी आता था । गांव मेँ मंदिर पर आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान मलखान घुँघरू पहनकर खूब नृत्य करते थे । उनका नृत्य वहाँ के लोग आज भी याद करते हैं ।
1997 मेँ लड़ चुके हैं चुनाव जनप्रतिनिधि बनने की हसरत बहुत दिनों से मन मेँ है । यह भूख तब और बढ़ गई जब उनके सामने ही फूलन देवी दो बार सांसद बन गई , जबकि बीहड़ी जीवन फूलन से उनका कहीं ज्यादा रहा है । 1997 मेँ भिण्ड विधानसभा के उप चुनाव मेँ समाजवादी पार्टी से वह चुनाव लड़े जरूर पर मतदाताओं ने उनको नकार दिया । उनकी जमानत तक जब्त हो गई । अब फिर से वह चुनाव मैदान मेँ हैं ।
इस पुराने बागी को डकैतों पर बनी फिल सोन चिड़िया पर कडा एतराज है । वह कहानी के कई हिस्सों से संतुष्ट नहीं हैं । इसीलिए उनकी तरफ से एक याचिका भी दायर की गई । मलखान पर भी दद्दा मलखान  नाम से फिल्म बनी है । मलखान का कहना है कि बागी बनने के पीछे कारण क्या होता है इसे दिखाया जाना चाहिए ।