मो. अनस सिद्दीकी
नई दिल्ली। दक्षिण दिल्ली नगर निगम और संयुक्त राष्ट्र की संस्था आईसीएलईआई-लोकल गवर्मेंटस फॉर सस्टेनबिलिटी के संयुक्त तत्वाधान में सोमवार को तीन दिवसीय चौथा एशिया पैसिफिक फोरम ऑन अर्बन रीसिलियंस एंड अडाप्टेशन-रीसिलियंट सिटीज एशिया पैसिफिक कांग्रेस 2019 का उद्घाटन उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने किया।
इस मौके पर उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभाव पर काबू पाने के लिए हरित समाधान की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव विशेष रूप से एशिया के शहरों और कस्बों के लिए प्रासंगिक हैं। बाढ़, जंगल की आग, चक्रवाती तूफान आदि लगभग नियमित रूप से जनजीवन को प्रभावित कर रहे हैं। हमारे शहर प्रतिदिन जलवायु परिवर्तन से हो रहे नुकसान को झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस चुनौती को हल करने के लिए वैश्विक नेताओं में से अब भारत का नेतृत्व गंभीरता से काम कर रहा है।
पौलेंड के काटोविस में जलवायु परिवर्तन पर समान्नता के 24वें सम्मेलन के अनुसार भारत राष्ट्रीय निर्धारित योगदान की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। नायडू ने कहा कि गावों से शहरी क्षे़त्रों की ओर तेजी से परिवारों का पलायन हो रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व की 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या एशिया में रहती है और इनमें से लगभग आधे शहरों के निवासी है। शहरों में लगभग 2/3 वैश्विक ऊर्जा की खपत होती है और 70 प्रतिशत कार्बनडाइक्साइड का उत्सर्जन होता है। नया शहरी ढांचा ऐसा होना चाहिए जिसमें कार्बनडाइक्साइड का उत्सर्जन कम हो और यह हरित हो तथा जलवायु परिवर्तन में साधक न हो।
दक्षिण दिल्ली नगर निगम के आयुक्त डॉ. पुनीत कुमार गोयल ने प्रारंभिक सत्र में अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है और इसके दुष्प्रभाव गंभीर, तत्काल हैं और बढ़ रहे हैं। कोई भी देश बड़ा हो या छोटा, अमीर हो या गरीब इसके दुष्प्रभाव से बच नहीं सकता। जलवायु परिवर्तन को रोकने से ही दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। इसके लिए तेजी से मिलकर सहासपूण कदम उठाने होंगे। यदि हम ऐसा नहीं करते तो हम अपनी भावी पीढ़ियों को ऐसी भयानक स्थिति में डाल रहे है जिससे बचा नहीं जा सकेगा। उन्होंने कहा कि साउथ एमसीडी जलवायु परिवर्तन और चिरस्थाई विकास जैसे मुद्दों के अनुकूल परिणाम के लिए योगदान दे रहा है और इसके लिए बहुस्तरीय कदम उठाए जा रहे हैं।
साउथ एमसीडी ने स्वच्छ विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं। पारंपरिक स्ट्रीट लाइट को बदलकर बिजली की कम खपत वाली एल.इ.डी लाइट लगाई गई जिनसे प्रतिवर्ष 80 मिलियन यूनिट खपत कम हुई और 10 मिलियन अमरिकी डॉ.लर की बचत हुई, निगम की भवनों की छत पर 9 मैगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है जिससे निगम को 10 मिलियन यूनिट सौर बिजली का उत्पादन हुआ और इसकी खपत और इसे बेचने के बाद 2018-19 में 2.2 मिलियन अमरिकी डॉ.लर की बचत हुई। पैट्रोल, डीजल से चलने वाले वाहनों की खरीद बंद कर दी गई और इसके बदले 75 इलैक्ट्रिक वाहन खरीदे गए हैं। इससे भी कार्बनडाइक्साइड उत्सर्जन में कमी आई। इन सभी उपायों से प्रतिवर्ष 75 हजार टन कार्बन उत्सर्जन कम हो रहा है।
निगम ने ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए परिणामजनक कदम उठा रहा है। वेस्ट टू एनर्जी संयत्र में कचरे से बिजली बन रही है जिससे लैंड फिल साइट पर बोझ कम हुआ है। निगम ने हाल ही में वेस्ट टू वंडर पार्क बनाया है जिसमें दुनिया के सात अजूबों की प्रतिकृतियां लगाई गई है। इन्हें निगम के भंडार में रखे 150 टन धातु के कचरे से बनाया गया है। यह पार्क सबसे आकर्षक पर्यटन केंद्र बन गया है। निगम ने 8 ई.टी.पी बनाकर 550 लीटर नाले के पानी को साफ कर उनका इस्तेमाल पार्कों में सिंचाई के लायक बना दिया है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए समाज के सभी वर्गों, नागरिकों, कंपनियों, समाजिक संगठनों और सरकारी संस्थानों को मिलकर काम करना होगा।
साउथ एमसीडी के महापौर नरेन्द्र चावला ने विशेष पूर्ण सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि दिल्ली जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का सामना कर रहा है और इस पर चर्चा करना समय की मांग है। चिरस्थाई विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए हमे प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल में सावधानी बरतनी होगी ताकि हम भावी पीढ़ियों के लिए प्राप्त मात्रा में प्राकृतिक संसाधन बचा सकें। निगम दिल्ली को सस्टेनेबल सिटी बनाने के लिए कई वर्षों से प्रयास कर रहा है। गांवों से शहरों में बड़ी संख्या में पलायन की स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक हो जाता कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों में कमी लाने के प्रयास किये जाए। इसके साथ ही बढ़ती शहरी जनसंख्या को नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के तौर तरीकों पर मंथन किया जाए। यह विषय न केवल भारत से संबंधित है बल्कि अन्य देशों के सजग व्यक्तियों को सोचने के लिए मजबूर कर रहा है।